The Ultimate Guide To Shodashi
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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
A unique feature on the temple is usually that souls from any religion can and do give puja to Sri Maa. Uniquely, the temple management comprises a board of devotees from a variety of religions and cultures.
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥
The devotion to Goddess Shodashi is usually a harmonious blend of the pursuit of magnificence and The search for enlightenment.
An early early morning bath is considered vital, followed by adorning refreshing clothing. The puja region is sanctified and decorated with flowers and rangoli, developing a sacred House for worship.
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे
ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।
इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।
As on the list of ten Mahavidyas, her Tale weaves in the tapestry of Hindu mythology, presenting a rich narrative that symbolizes the triumph of fine about evil and also here the spiritual journey from ignorance to enlightenment.